मैं, अजमेर रेल मंडल कार्यालय
मेरा सफरनामा
मैं, डीआरएम
ऑफिस यानी अजमेर
रेल मंडल कार्यालय!
जी हॉं, उत्तर-पश्चिमी रेल्वे का
एक प्रमुख एवं
अग्रणीय मंडल कार्यालय,
जहॉं का इतिहास,
भूगोल, आंकड़े, कार्यशैली आदि
सभी कुछ अपना
एक खास महत्व
रखते है। मेरा
कार्यक्षेत्र दक्षिण-पश्चिम राजस्थान
और उत्तर-पूर्व
गुजरात के क्षेत्रों
तक फैला है,
जो कि राजस्थान
के अजमेर जिला
(जनसख्ंया 25,84,913) (181.93 कि.मी.),
पाली जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 20,37,573) (203.69 कि.मी.),
राजसमंद जिले के
क्षेत्र (जनसख्ंया 11,56,597) (104.20 कि.मी.),
सिरोही जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 10,36,346) (72.97 कि.मी.),
भीलवाड़ा जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 24,10,459) (87.30 कि.मी.)
चितौड़गढ़ जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 15,44,338) (62.04 कि.मी.),
उदयपुर जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 30,68,420) (231.70 कि.मी.
- 96.02 कि.मी. ब्रोड
गेज व 145.68 कि.मी. मीटरगेज),
डूंगरपुर जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 13,88,552) (85.59 मि.मी.)
एवं गुजरात के
बनासकांठा जिले के
क्षेत्र (जनसंख्या 31,20,506) (36.90 कि.मी.व साबरकांठा
जिले के क्षेत्र
(जनसंख्या 24,28,589) (59.23 कि.मी.)
को कवर करता
है। अर्थात इन
कुल 11 जिलों के करीब
सवा दो करोड़
लोग लाभान्वित हो
रहे है। इसके
अलावा पर्यटन, धार्मिक
यात्रा और व्यापार
से जुड़े लोग
भी इन रूटों
का भरपूर लाभ
उठा रहे है।
मेरे क्षेत्र
में मुख्य रूप
से दो ब्रॉडगेज
रूट है, जो
कि दिल्ली एवं
मुंबई को अजमेर-अहमदाबाद एवं अजमेर-रतलाम की ओर
से जोड़ते है।
मेरे अंतर्गत 134 स्टेशन
है, जिसका रूट
करीब 1125.55 किमी लम्बा
है। इस रूट
पर अजमेर, उदयपुर,
भीलवाड़ा, आबूरोड़, फालना, रानी
एवं मारवाड़ प्रमुख
स्टेशन है। कुछ
स्टेशन ए क्लास
श्रेणी के है
तो कुछ को
मॉडल स्टेशन बनाने
के क्रम में
आगे बढ़ाया जा
रहा हे। मेरे
मंडल के इस
संपूर्ण कार्य को देखने
के लिए मेरे
मंडल परिवार में
करीब 11072 अधिकारी-कर्मचारी है
जो कि दिन-रात मुस्तैदी
से लगे है।
मेरी
स्थापना और पुर्नगठन
मेरा
इतिहास यूं तो
काफी पुराना है।
मेरे यहॉं की
रेल कहानी सन्
1870 के करीब से
आरम्भ होती है,
जब यहॉं राजपूताना
स्टेट रेल्वे की
पटरियॉं बिछने लगी। 1 अगस्त,
1875 को अजमेर में रेल
लाइन का आगमन
हुआ। 8 मार्च, 1881 को यहॉं
राजपूताना मालवा रेल्वे के
मुख्यालय भवन का
शिलान्यास हुआ। इसकी
नींव राजपूताना के
ब्रिटिश गवर्नर जनरल एजेंट
कर्नल ई.आर.सी.ब्रेडफोर्ड
ने रखी। मुझे
खुशी है कि
मेरा मुख्यालय आज
इसी भवन में
कार्यरत है। यह
एक हैरिटेज इमारत
है। पत्थरों को
एक दूसरे में
कैंचीनूमा फंसाकर बनाई गई
निओ-गौथिक वास्तु
शैली का यह
एक अद्भुत नमुना
है। इस भवन
का कार्य सन्
1884 में पूर्ण हुआ। सन्
1889-90 में राजपूताना मालवा रेल्वे
का काम ‘बॉम्बे-बड़ौदा एण्ड सैंट्रल
रेल्वे’ के हाथों
में आ गया।
रेल्वे के एकीकरण
के बाद 15 अगस्त,
1956 को मेरा यानी
‘अजमेर मंडल रेल
कार्यालय’ का जन्म
हुआ। पश्चिमी रेल्वे
के अन्तर्गत आने
वाले मेरे इस
कार्यालय का उद्घाटन
अजमेर राज्य के
तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय
ने किया। बदलते
दौर में यूं
तो मैंने कई
उतार चढ़ाव देखे
है, किंतु झंझावातों
के बावजूद मैं
आज मजबूती से
कदम से कदम
मिलाते हुऐ विकास
के पथ पर
अग्रसर हूॅ। आरम्भ
में मैं मीटर
गेज का प्रमुख
मंडल रहा, किंतु
ब्रॉड गेज के
आने के बाद
मुझे भी ब्रॉडगेज
के अनुरूप कर
दिया गया। पहली
ब्रॉडगेज की लाईन
मेरे अजमेर शहर
में 20 मई, 1995 को आई
जब दिल्ली-जयपुर
शताब्दी को अजमेर
तक बढ़ाया गया।
सन् 2007 तक मेरे
क्षेत्राधिकार की सभी
लाईनें ब्रॉडगेज में तब्दील
हो गई। विकास
के इस दौर
में कई बदलाव
आऐ। सन् 2002 में
पश्चिमी रेल्वे के अजमेर
व जयपुर मंडल
तथा उत्तर रेल्वे
के बीकानेर व
जोधपुर मंडल को
मिलाकर उत्तर पश्चिमी रेल्वे
नाम से नया
जोन बना और
मुझे इसमें शामिल
कर दिया गया। 1
अप्रेल, 2003 को अजमेर
मंडल के गांधीधाम
क्षेत्र के पश्चिम
रेल्वे के अहमदाबाद
मंडल में विलय
तथा पश्चिम रेल्वे
के रतलाम मंडल
के आदर्शनगर - डेटखंड
के अजमेर मंडल
में विलय के
पश्चात् मेरे समक्ष
कई चुनौतियॉं खड़ी
हो गई। माल
ढुलाई के स्रोत
सीमित हो गऐ।
आय के साधन
सब घट गऐ।
कहने का मतलब
मलाई वाली साइडिंग
मुझ से जुदा
हो गई। ऐसे
में आय वृद्धि
तो दूर, बल्कि
पूर्व आंकड़ों को
बनाऐ रखना भी
दूभर हो गया।
जहॉं मंडल के
पुर्नगठन से पूर्व
सन् 2002-03 में आय
626.76 करोड़ रूपये थी, वहीं
पुर्नगठन के बाद
यह मात्र 229.23 करोड़
ही रह गई।
किंतु मैंने कभी
हार नहीं मानी।
मेरे सक्षम अधिकारियों
और कर्मचारियों के
बूते मैंने वो
कठिन दौर भी
पार पा लिया।
नई संभावनाऐं तलाशी।
जनशक्ति का कुशलता
से उपयोग किया
तथा अपने खर्चो
में कटौती की।
यात्री आय में
बढ़ोतरी हेतु कुछ
नई गाड़ियॉं चलाई
तो पार्सल आय
में बढ़ोत्तरी के
लिए 6 यात्री गाड़ियों
के 14 एसएलआर कंपार्टमेंटों
को लीज पर
दिया। माल यातायात
में बढ़ोतरी हेतु
तीन सीमेंट फैक्टरियों
- श्री सीमेंट लि., लक्ष्मी
सीमेंट लि. एवं
बीनानी सीमेंट लि. को
अधिकतम लदान हेतु
प्रेरित किया। कन्टेनर ट्रैफिक
से अतिरिक्त आय
हेतु दौराई, ब्यावर,
रूपाहेली, फतहनगर एवं खेमली
स्टेशनों को कन्टेनर
रेल टर्मिनल (सीआरटी)
हेतु नामित किया।
अजमेर-मारवाड़ खंड
के बांगड़ ग्राम
स्टेशन से 28 किमी दूर
रास स्टेशन बनाया।
यहॉं से दो
साइडिंग - अम्बुजा सीमेंट एवं
श्री सीमेंट को
अपनी जद में
लिया। अजमेर - चितौडगढ़
खंड के रूपाहेली
स्टेशन से हिंदुस्तान
जिंक लिमिटेड की
आगूचा माइंस के
लिए भी साइडिंग
निकाली। खेमली स्टेशन पर
भी दो साइंिडंग-
उदयपुर सीमंेट वर्क्स लि.
एवं कोनकोर का
स्कॉप है। अप्रेल,
2015 में अजमेर में भरे
ख्वाजा साहेब के उर्स
मेले के लिए
मैंने करीब 35 स्पेशल
रेलगाड़ियॉं चलाई। अर्थात अपनी
आय बढ़ाने हेतु
मैं निरन्तर प्रयासरत
रहा हूं तथा
संघर्षरत रहा हूं।
परिणामतः मेरी आय
जो कि वर्ष
2007-08 में 253.09 करोड़ थी
वह बढ़ कर
वर्ष 2013-14 मंे 1082.68 करोड़ रूपये
एवं 2014-15 में 1166.73 करोड़ रूपये
हो गई है।
इसी प्रकार वर्ष
2015-16 में दिसम्बर, 2015 तक कुल
आय 830.18 करोड़ हो
गई है। निश्चय
ही यह मेरी
एक बड़ी उपलब्धी
है। इसके लिए
मैं अपने अधिकारियों
के उचित मार्गदर्शन
और कर्मठ कर्मचारियों
को श्रेय देता
हूॅ, जिन्होंने दफ्तर
के काम को
हर तरह से
तवज्जों दी।
आधुनिकीकरण
-
आधुनिकीकरण के दौर
से गुजरते मैंने
जहॉं यात्रियों के
बढ़ते दबाव को
कम करने के
लिए रेल लाईनों
का विस्तार किया
है वहीं उसके
दोहरीकरण का काम
भी आगे बढ़ाया
है। अजमेर और
मदार के मध्य
दोहरीकरण का कार्य
पहले ही पूरा
हो चुका है।
अजमेर पालनपुर के
बीच भी सन्
2010 से कार्य प्रगति पर
है जिसके अन्तर्गत
केशवगंज-स्वरूपगंज (26.48 कि.मी.)
का कार्य दिनांक
17 अप्रेल, 2015 को पूरा
हो चुका है।
केशवगंज-मोरीबेड़ा (21.38 कि.मी.)
खण्ड का मोटर
ट्रोली द्वारा निरीक्षण रेल
संरक्षा आयुक्त, पश्चिम क्षेत्र
द्वारा दिनांक 27 अप्रेल 2015 को
कर लिया गया
है। विद्युतीकरण का
कार्य भी प्रगति
पर है इसके
तहत अजमेर-उदयपुर
(294 किमी) पर करीब
330.81 करोड़ रूपये के साथ
तथा अलवर-बांदीकुई-जयपुर - फुलेरा - दिल्ली
सरायरोहिल्ला -रेवाड़ी-पालनपुर (868 किमी)
का कार्य 908.83 करोड़
रूपये के साथ
विभिन्न चरणों में किया
जा रहा है।
उदयपुर-हिम्मतनगर खण्ड पर
भी गेज परिवर्तन
का कार्य प्रगति
पर है। मावली-बड़ी सादड़ी
गेज परिवर्तन का
कार्य भी प्रक्रिया
मंे है। नाथद्वारा
से न्यू-नाथद्वारा
का सर्वे भी
कराया जा चुका
है तथा इसका
डिटेल्ड एस्टिमेट भी प्रक्रियाधिन
है।
इसके अलावा
प्रमुख स्टेशनों को वाईफाई
की सुविधा से
लैस किया जा
रहा है। सोलर
एनर्जी पर भी
उल्लेखनीय प्रगति की है
तथा इस दिशा
में अजमेर एवं
उदयपुर में सौर
ऊर्जा संयत्र लगाऐ
जा चुके है।
भीलवाड़ा व आबूरोड़
मंे भी सोलर
उर्जा संयंत्र का
कार्य प्रगति पर
है। इसके अतिरिक्त
रानी, फालना, मारवाड़
राणाप्रताप नगर में
भी सोलर उर्जा
संयंत्र सी.एस.आर. के
अन्तर्गत लगाये जाने प्रस्तावित
है।
मेरे विभागों
में आंतरिक संचार
के लिए एफटीपी
व ई-मेल
को बढ़ाया है,
जिससे कार्य में
गति आई है।
इन मोटे बदलावों
के अलावा यात्री
सुविधा के लिए
भी कई कदम
उठाऐ है अर्थात्
कार्पोरेट सोशल रेस्पोन्सिबिल्टी
के लिए सदैव
जागरूक रहा है।
यात्रियों
की सुविधा हेतु बीते वर्ष
में किऐ गऐ कार्य
यात्रियों की सुविधा
के लिए अजमेर
स्टेशन पर 4 एस्केलेटर,
भीलवाड़ा में 2 व उदयपुर
में 2 एस्केलेटर लगाने
का कार्य प्रगति
पर है। इसी
प्रकार अजमेर में 2 लिफ्ट,
उदयपुर में 1 व आबूरोड
में 1 लिफ्ट लगाने
का कार्य स्वीकृत
हो चुका है। सिरोही,
स्वरूपगंज, केशवगंज एवं बनास
में उच्च स्तरीय
प्लेटफार्म का निर्माण,
प्रतीक्षा हॉल, शौचालय
एवं वाटर हाइडेªंट से
युक्त नये स्टेशन
भवन का निर्माण
किया गया है।
आबूरोड, उदयपुर में प्लेटफार्म
नं. 1 के शेड
एवं बैठने की
व्यवस्था का विस्तारीकरण,
नवीनीकरण का कार्य
भी किया गया
है। इसी प्रकार
अजमेर- चित्तौड़ खंड एवं
हरिपुर-पालनपुर खंड में
वे-साईड स्टेशन
पर बेंच की
सुविधा युक्त हल्के वजन
वाले प्लेटफार्म शेल्टर
बनवाये हैं।
अजमेर स्टेशन पर
एसी शीट एवं
वेली गटर को
एल्युमिनियम शीट से
बदला गया है।
प्लेटफार्म नं. 2 व 3 तथा
4 व 5 पर जन
सुविधाओं का कार्य
प्रगति पर है।
अजमेर में जन-आहार के
स्थान पर प्रतीक्षा
हॉल का विस्तार,
पे एंड यूज
प्रसाधन का नवीनीकरण,
प्लेटफार्म नं. 1 के प्लेटफार्म
कवर शेड का
विस्तार आदि कार्य
भी सम्पन्न हो
चुके है। ठण्डे
पानी हेतु विभिन्न
स्टेशनों पर 9 अतिरिक्त
वाटर कूलर का
प्रावधान किया गया
है। आबूरोड में
3 सिंगल लाईन डबल
फेज्ड टेªन
इंडीकेशन बोर्ड, 78 कोच गाइडेंस
सिस्टम, 4 ’टेªन
एट ए ग्लांस’
एवं 6 जी.पी.एस. घड़ियां
उपलब्ध करवाई गई है।
फालना एवं उदयपुरसिटी
में मल्टीपल डिस्प्ले
बोर्ड, राणाप्रताप नगर में
24 कोच गाइडेंस सिस्टम उपलब्ध
करवाया गया। भीलवाड़ा
में इलेक्ट्रॉनिक टेªन चार्टिंग
डिस्प्ले सिस्टम उपलब्ध करवाया
गया है।
अजमेर में पूछताछ
काउंटर पर नेशनल
टेªन इन्क्वायरी
सिस्टम (एन.टी.ई.एस.)
आधारित इन्क्वायरी सिस्टम उपलब्ध
करवाया जा रहा
है। यात्रियों की
वाणिज्य/सुरक्षा संबंधी समस्याओं
हेतु अखिल भारतीय
यात्री हेल्पलाइन नं. 138, अखिल
भारतीय सुरक्षा हेल्पलाइन नं.
1322/182 की सुविधा उपलब्ध करवाई
गई। श्रीसीमेंट के
सहयोग से लगभग
2-3 करोड़ रू. की
लागत से तीसरा
प्रवेश एवं निकास
द्वार, बुकिंग एवं आरक्षण
सुविधा के साथ
प्रतीक्षा हॉल के
विस्तार का कार्य
प्रगति पर है।
इससे ना सिर्फ
स्टेशन रोड़ पर
यातायात का दबाव
कम होगा, अपितु
यात्रियों को भी
लाभ होगा। स्टेशन
के सर्कुलेटिंग एरिया
में लगभग 25 लाख
रू. की लागत
की 5 हाई लाईट
मास्ट लाइटें लगाई
है। इसके अलावा
अजमेर स्टेशन पर
10ग्4 ज्ञॅच क्षमता
एवं उदयपुर स्टेशन
पर 2ग्10 ज्ञॅच
क्षमता वाले लगभग
1 करोड़ की लागत
के सौर ऊर्जा
संयत्र लगवाये गये हैं।
भीलवाड़ा व आबूरोड़
स्टेशनों पर 10ग्4
ज्ञॅच क्षमता के
सोलर प्लान्ट हेतु
कार्यवाही प्रक्रियाधीन है तथा
जिसकी लागत रू.
1 करोड़ है।
यात्रियों की सुविधार्थ
इण्डियन रेलवे फाईनेन्स कारपोरेशन,
नई दिल्ली द्वारा
अजमेर मण्डल के
20 स्टेशनों पर रू.
3.38 करोड़ की लागत
से आर.ओ.
एवं चिलर प्लान्ट
लगाये जाने हेतु
स्वीकृत किये है
जिसका कार्य भी
प्रगति पर है।
अजमेर स्टेशन, भीलवाड़ा
व आबूरोड़ स्टेशन
पर आर.ओ.
प्लान्ट हेतु एन.टी.पी.सी. द्वारा
रू. 55 लाख स्वीकृती
अंतिम चरण में
है। ऑटोमेटिक टिकट
वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) भी
अजमेर व उदयपुर
स्टेशन पर लगाई
जा चुकी है।
इसके अलावा 24 अक्टूबर,
2015 को उदयपुर सिटी रेल्वे
स्टेशन पर द्वितीय
प्रवेश द्वार के कार्यो
का शिलान्यास किया
गया।
यात्री एवं
लोगों की सुरक्षा हेतु
उठाऐ गऐ कदम -
दुर्घटनाओं को रोकने
के लिए समपार
फाटकों पर कर्मचारियों
की तैनाती, इंटरलॉकिंग
एवं प्रकाश व्यवस्था
में सुधार किया
है। गाड़ी संचालकों
की नियमित काउंसलिंग
के साथ साथ
गाड़ियों का संचालन
ब्लॉक पद्धति के
अनुसार किया जा
रहा है। स्टेशन
पर संरक्षण के
सभी उपाय मुहैया
कराये गऐ है।
संरक्षा अभियान, सेमीनार, सुरक्षा
रैली, रिले रूम
में दोहरा ताला,
डिस्कनैक्शन व रिकनेक्शन
मीमों को सुनिश्चितीकरण,
मानव रहित फाटकों
पर आर डब्ल्यू
एल बोर्ड, स्वचालित
जाम झण्डा आदि
की व्यवस्था में
भी सुधार किया
है। इसी क्रम
में 2 जुलाई, 2015 को
नसीराबाद रोड़ पर
पुराने गर्डर को बदल
कर नया गर्डर
लगाया है। आपात
स्थिति से निपटने
के लिए 18 नवम्बर,
2015 को यहॉं एक
मॉकड्रिल कराया गया, जिसे
40 सदस्यीय एनडीआरएफ की टीम
ने बखूबी अंजाम
दिया। मेरे यहॉं
के मंडल रेल्वे
हास्पिटल अजमेर में बीते
वर्षों में ना
सिर्फ मरीजों के
लिए सुविधाऐं बढ़ाई
है, अपितु करीब
108000 पीड़ित लोगों ने उपचार
लिया है। अर्थात
सुरक्षा एवं सामाजिक
सरोकारों को पूरा
करने के लिए
हर दिशा में
कदम उठाया जा
रहा है।
उपलब्धियॉ -
यूं तो
मेरी संतुष्टि का
पैमाना देशवासियों की सेवा
का है और
जिसे मैंने हासिल
भी किया है।
पर, जब मेरी
कार्यशैली और गुणवत्ता
के आधार पर
जब मुझे पुरूस्कारों
से नवाजा तो
निश्चय ही यह
एक खुशी की
बात है। उर्जा
संरक्षण-2015 के लिए
मुझे राजस्थान में
प्रथम पुरूस्कार से
नवाजा गया। इसके
अलावा भारतीय रेल
मंत्रालय ने अपनी
एकाउन्टिंग पद्धति को नेशनल
एवं इंटरनेशनल कॉमर्शियल
प्रिन्सीपल पर लाने
के क्रम में
मुझे पायलेट प्रोजेक्ट
के लिए चुना
है। प्रभावी आंतरित
जॉंच में मैंने
2014-15 में करीब 113 लाख रूपये
की बचत की
है। पेंशन अदालतों
में 198 मामलों का निपटारा
किया है। अजमेर
मंडल को 14 ‘महाप्रबंधक
कार्य दक्षता शील्डें’
भी प्राप्त हुई
है। निश्चय ही
यह सब ना
सिर्फ मेरी खुशियॉं
बढ़ाती है, अपितु
मेरे यहॉ काम
करने वालों की
कार्य क्षमता और
दक्षता भी बढ़ाती
है।
खैर, मेरा
कार्य उन्नति के
पथ पर बढ़ते
हुऐ यात्रियों की
सेवा का है,
जिसके लिए मैं
सदा तत्पर हूॅ
और आगे भी
रहूंगा।
(अनिल
कुमार जैन)
‘अपना
घर’, 30-अ,
सर्वोदय
कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर
(राज.) - 305001
Mobile - 09829215242
aniljaincbse@gmail.com
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